हौसले ज़िंदगी के देखते हैं,चलिये कुछ रोज जी के देखते हैं,नींद पिछली सदी की जख्मी है,ख्वाब अगली सदी के देखते हैं।
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तेरी हर बातमोहब्बत में गँवारा करके,दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।