Ahmad Faraz Shayari and Biography in Hindi

Ahmad Faraz Shayari and Biography in Hindi

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मैं दीवाना सही पर बात सुन ऐ हमनशीं मेरी
कि सबसे हाले-दिल कहता फिरूँ आदत नहीं मेरी

 

 

अहमद फ़राज पेशावर विश्वविद्यालय में फ़ारसी और उर्दू विषय का अध्ययन किया था।  बाद में वे वहीं प्राध्यापक भी हो गये थे। लेखन के शुरूआती दिनों में वे इकबाल की रचनाओं से प्रभावित रहे। फिर बाद में प्रगतिवादी कविता को पसंद करने लगे। कुछ ऐसी ग़जलें लिखकर मुशायरों में पढ़ी जिनके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 

 

अहमद फ़राज के बारें में कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकरियाँ । 

 

– फ़राज को क्रिकेट का भी शौक था पर शायरी का शौक इस कदर छाया की अपने समय के ग़ालिब कहलायें.
– 1976 में, पाकिस्तान एकेडमी ऑफ लेटर्स के डायरेक्टर जनरल और बाद में उसी एकेडमी के चेयरमैन भी बने.

– पाकिस्तान सरकार ने 2004 में, उन्हें हिलाल-ए-इम्तियाज़ पुरस्कार से अलंकृत किया.

– सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होने के कारण 2006 में यह पुस्कार लौटा दिया.

– किडनी फ़ैल होने की वजह से 25 अगस्त, 2008 को उनका निधन हो गया.

Ahmad Faraz bio

अहमद फ़राज की जीवनी | Ahmad Faraz Biography
मशहूर नाम – अहमद फ़राज ( Ahmad Faraz )
असली नाम – सैयद अहमद शाह
उपनाम -फ़राज
जन्म – 14 जनवरी 1931
जन्म स्थान – कोहाट, उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रांत, पाकिस्तान
मृत्यु – 25 अगस्त 2008
मृत्यु स्थान – इस्लामाबाद, पाकिस्तान
शिक्षा – स्नातकोत्तर (कला-उर्दु), स्नातकोत्तर (कला-फारसी)
व्यवसाय – अध्यापक और उर्दू कवि
राष्ट्रीयता – पाकिस्तानी
लेखन शैली – उर्दू गजल
लेखन विषय – प्रेम

 

उर्दू के उम्दा शायरों में शुमार इनके गजलों और नज्मों में जो दर्द छुपा रहता हैं. उस दर्द को एक आम इन्सान भी आसानी से समझ सकता हैं. आइये अब अहमद फराज दुवारा लिखी गई शायरी को पढ़ते हैं.

Ahmad Faraz Hindi Shayari

 रूठ जाने की अदा हम को भी आती है फ़राज़
काश होता कोई हम को भी मनाने वाला। 

 उसकी बातें मुझे खुशबू की तरह लगती हैं
फूल जैसे कोई सेहरा में खिला करता है। 

 आँखों में हया हो तो
पर्दा दिल का ही काफी है फ़राज़
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं
इशारे मोहब्बत के.

 

 मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया.

  एक पल जो तुझे भूलने का सोचता हूँ फ़राज़
मेरी साँसें मेरी तकदीर से उलझ जाती हैं.

Faraz Shayari in Hindi

 फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की.

 दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो.

 दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़
लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए.

अहमद फ़राज़ शायरी

 

 वो बारिश में कोई सहारा ढूँढता है फ़राज़
ऐ बादल आज इतना बरस
की मेरी बाँहों को वो सहारा बना ले.

 वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता.

 

Ahmad Faraz Hindi Shayari

 

इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.

 बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला। 

 उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती। 

 अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.

 माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना

Faraz Shayari in Hindi

 

 एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है। 

 तुम्हारी दुनिया में
हम जैसे हजारों हैं “फ़राज़”
हम ही पागल थे
जो तुम्हे पा के इतराने लगे। 

 ऐसा डूबा हूँ
तेरी याद के समंदर में “फ़राज़”
दिल का धड़कना भी
अब तेरे कदमों की सदा लगती है.

 वो शख्स जो कहता था
तू न मिला तो मर जाऊंगा “फ़राज़”
वो आज भी जिंदा है
यही बात किसी और से कहने के लिए। 

 

 वहाँ से एक पानी की बूँद
ना निकल सकी “फ़राज़”
तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील लिखते रहे। 

Ahmad Faraz Hindi Shayari

 ये कह कर मुझे मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए। 

 उसकी जफ़ाओं ने मुझे
एक तहज़ीब सिख दी है फ़राज़
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर
शिकवा नहीं करता। 

 जो कभी हर रोज़ मिला करते थे फ़राज़
वो चेहरे तो अब ख़ाब ओ ख़याल हो गए। 

 मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ फ़राज़
मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो। 

 कांच की तरह होते हैं गरीबों के दिल फ़राज़
कभी टूट जाते हैं तो कभी तोड़ दिए जाते हैं। 

Faraz Shayari in Hindi

 

 मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊँ फ़राज़
कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता। 

 हमारे बाद नहीं आएगा
तुम्हे चाहत का ऐसा मज़ा फ़राज़
तुम लोगों से खुद कहते फिरोगे की
मुझे चाहो तो उसकी तरह। 

 उस से बिछड़े तो मालूम हुआ की
मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़
ज़िन्दगी वो थी जो हम उसकी
महफ़िल में गुज़ार आए। 

 वफ़ा की लाज में उसको मना लेते तो अच्छा था फ़राज़
अना की जंग में अक्सर जुदाई जीत जाती है। 

 किस किस से मुहब्बत के वादे किये हैं तू ने फ़राज़
हर रोज़ एक नया शख्स तेरा नाम पूछता है। 

Ahmad Faraz Hindi Shayari

 कसूर नहीं इसमें कुछ भी उनका,
हमारी चाहत ही इतनी थी की उन्हें गुरूर आ गया..

 तू भी तो आईने की तरह बेवफ़ा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया..

 कभी कभी तो रो पड़ती हैं यूँ ही आँखें,
उदास होने का कोई सबब नहीं होता..

 हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए,
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था..

 नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें उस को मनाने की,
पता नहीं कहाँ से सीखीं जालिम ने अदाएं रूठ जाने की। 

Faraz Shayari in Hindi

 

 उसे तेरी इबादतों पे यकीन है नहीं,
जिस की ख़ुशियां तू रब से रो रो के मांगता है। 

 फिर इतने मायूस क्यूँ हो उसकी बेवफाई पर,
तुम खुद ही तो कहते थे की वो सब से जुदा है। 

 किताबों से दलीलें दूं या खुद को सामने रख दूं,
वो मुझ से पूछ बैठी हैं मुहब्बत किसको कहते हैं। 

 कौन देता है उम्र भर का सहारा,
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं..

 बस यही आदत उसकी मुझे अच्छी लगती है,
उदास कर के मुझे भी वो खुश नहीं रहता…

 अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे,
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद..

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