Mirza Ghalib ki shayari in hindi | Biograpy of Mirza Ghalib | Mirza Ghalib shayari

Mirza Ghalib ki shayari

Mirza Ghalib ki shayari in hindi | Biograpy of Mirza Ghalib | Mirza Ghalib shayari

BIOGRAPY OF MIRZA GHALIB 

BIOGRAPY OF MIRZA GHALIB

मिर्जा असदुल्लाह बेग खान,जो अपने तख़ल्लुस गालिब से जाने जाते थे। उनका जन्म आगरा, उत्तर प्रदेश में एक सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में 27 दिसंबर ,1769 को हुआ था। उनके पिता का नाम मिर्जा अब्दुल्ला बेग और उनकी माता का नाम इज़्ज़त-उत- निसा था।1803, मैं अलवर में एक युद्ध में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और वह केवल 4 वर्ष के थे।जब गालिब छोटे थे तो एक नव-

 

मुस्लिम-वर्तित ईरान से दिल्ली आए थे और उन्होंने वहां रहकर फारसी सीखी।

गालिब की प्रारंभिक शिक्षा के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन गालिब के अनुसार उन्होंने 11 वर्ष की अवस्था से ही उर्दू एवं फारसी में गद्द तथा पद्ध  लिखना आरंभ कर दिया था।और वह उर्दू और फारसी भाषा के एक महान शायर बने।उनको उर्दू भाषा का महान शायर माना जाता था और फारसी कविता के प्रवाह को हिंदुस्तानी जबान में लोकप्रिय कराने का श्रेय भी उनको दिया जाता है। वे भारत और पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाने जाते हैं।

BIOGRAPY OF MIRZA GHALIB

उन्होंने अधिकतर फारसी और उर्दू में पारंपरिक भक्ति और सौंदर्य रस पर रचनाएं लिखी जो ग़ज़ल  में लिखी हुई हैं उन्होंने फारसी और उर्दू दोनों में परंपरिक गीत काव्य की रहस्यमय- रोमांटिक शैली में सबसे व्यापक रूप से लिखा और यह  ग़ज़ल  के रूप  मे जाना जाता है |

 

 

13 वर्ष की आयु में उनका विवाह नवाब इलाही बख्श की बेटी उमराव बेगम से हो गया था। वह विवाह के बाद दिल्ली में आकर रहने लगे थे। और उनकी तमाम उम्र वही बीती।अपनी पेंशन के सिलसिले में उन्हें कलकत्ता की लंबी यात्रा भी करनी पड़ी।जिसका जिक्र उनकी गजलों में जगह-जगह पर मिलता है ।1850 मैं शहंशाह बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय ने मिर्जा गालिब को दबीर -उल-मुल्क और नज़्म-उद-दौला के खिताब से नव़ाजा और बाद में उन्हें मिर्जा नोश का खिताब भी मिला। वे शहंशाह के दरबार में एक महत्वपूर्ण दरबारी थे और वह एक समय में मुगल दरबार के शाही इतिहासविद भी थे।

उन्होंने अपने बारे में स्वंय लिखा था कि दुनिया में यूं तो बहुत से अच्छे शायर हैं लेकिन उनकी शैली सबसे निराली है और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज-ए-बया।अतः उनकी मृत्यु दिल्ली में फरवरी 1869 में हुई।

Mirza Galib shayari with images

 

हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और।

 

Hain Aur Bhi Duniya Mein SukhanWar Bahut Achchhe,
Kehte Hain Ki Ghalib Ka Hai Andaaz-e-Bayaan Aur.

 

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे ।

 

Ishq Par Jor Nahi Hai Ye Wo Aatish Galib,
Ki Lagaye Na Lage Aur Bujhaye Na Bujhe.

 

चाँदनी रात के खामोश सितारों की कसम,
दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं।

 

Chaandni Raat Ke Khamosh Sitaron Ki Kasam,

Dil Mein Ab Tere Siwa Koyi Bhi Aabaad Nahi.

 

आता है दाग-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग।

 

Aata Hai Daag-e-Hasrat-e-Dil Ka Shumaar Yaad,
Mujhse Mere Gunaah Ka Hisaab Ai Khudaa Na Maang

 

ता फिर न इंतज़ार में नींद आये उम्र भर,
आने का अहद कर गये आये जो ख्वाब में।

Ta Fir Na Intezaar Mein Neend Aaye Umr Bhar,
Aane Ka Ahed Kar Gaye Aaye Jo Khwaab Mein.

Mirza Ghalib ki shayari

 

दिल गंवारा नहीं करता शिकस्ते-उम्मीद,
हर तगाफुल पे नवाजिश का गुमां होता है।

 

Dil Ganwara Nahi Karta Shikast-e-Ummeed,
Har Tagaful Pe Nawajish Ka Gumaan Hota Hai.

 

ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे?

 

Ghalib Bura Na Maan Jo Waaiz Bura Kahe,
Aisa Bhi Koi Hai Ke Sab Achha Kahein Jisse?

Mirza Ghalib ki shayari

 

ज़िन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री,
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे।

 

 Zindagi Apni Jab Iss Shakl Se Gujri,
Hum Bhi Kya Yaad Karenge Ki Khuda Rakhte The.

 

आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद।

 

Aaya Hai BeKasi-e-Ishq Pe Rona Ghalib,
Kiske Ghar Jayega Sailab-e-Bala Mere Baad.

Mirza Ghalib ki shayari

 

 

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।

 

Ishrat-e-Qatra Hai Dariya Mein Fanaa Ho Jana,
Dard Ka Hadd Se Gujarna Hai Dawa Ho Jana.

 

इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया,
दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया।

 

Ishq Se Tabiyat Ne Zeest Ka Mazaa Paya,
Dard Ki Dawa Payi Dard Be Dawa Paya.

Mirza Ghalib’s shayari

 

 

तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तदबीरें,
मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं।

 

Tum Na Aaoge To Marne Ki Hai Sau Tadbeerein,
Maut Kuchh Tum To Nahi Hai Ki Bula Bhi Na Saku.

Mirza Ghalib ki shayari images

 

 

 

आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए,
साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था।

 

Aaina Dekh Apna Sa Moonh Le Ke Reh Gaye,
Sahab Ko Dil Na Dene Pe Kitna Guroor Tha.

 

उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

 

Unke Dekhe Se Jo Aa Jaati Hai Chehre Par Raunaq,
Wo Samajhte Hain Ke Beemaar Ka Haal Achchha Hai.

 

ये न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।

 

Ye Na Thi Humari Kismat Ki Visaal-e-Yaar Hota,
Agar Aur Jeete Rehte, Yehi Intezaar Hota.

 

आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक।

 

Aashiqi Sabr Talab Aur Tamanna Betab,
Dil Ka Kya Rang Karoon Khoon-e-Jigar Hone Tak.

Mirza Ghalib shayari

 

लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती
“ग़ालिब”हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है – मिर्ज़ा

 

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

 

वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं

 

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है

Mirza Ghalib ki shayari

 

 

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या हैतुम न आए

 

तो क्या सहर न हुई ,हाँ मगर चैन से बसर न हुई,
मेरा नाला सुना ज़माने ने,एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई

 

 मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है

Mirza Ghalib ki shayari

यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो

 

बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था।

 

मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

amir khusaro shayari

HARNEET KAUR (Ishq Kalam):