saadat hasan manto quotes in hindi
saadat hasan manto shayari in hindi | मंटो की कविताएँ | saadat hasan manto quotes in hindi | manto quotes in hindi | hasan manto quotes
नेता जब आंसू बहा कर लोगों से कहते हैं कि मज़हब ख़तरे में है तो इसमें कोई हकीकत नहीं होती। मज़हब ऐसी चीज़ ही नहीं कि ख़तरे में पड़ सके, अगर किसी बात का ख़तरा है तो वो नेताओं का है जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए मज़हब को ख़तरे में डालते हैं।
सआदत हसन मंटो
मैं बगावत चाहता हूं हर उस फर्द के खिलाफ बगावत चाहता हूं जो हमसे मेहनत करता है मगर उसका दाम अदा नहीं करता।
सआदत हसन मंटो
पहले मज़हब सीनों में होता था, आजकल टोपियों में होता है। सियासत भी अब टोपियों में चली आई है। जिंदाबाद टोपियां.
सआदत हसन मंटो
आप शहर में खुबसूरत और नफीस गाडि़यां देखते हैं… ये खुबसूरत और नफीस गाडि़यां कूद-करकट उठाने के काम नहीं आ सकतीं। गन्दगी और गलाज़त उठा कर बहार फेंकने के लिए और गाड़ियाँ मौजूद हैं जिन्हें आप काम देखते हैं और अगर देखते हैं तो फ़ौरन अपनी नाक पर रुमाल रख लेते हैं… इन गाड़ियों का वुज़ूद ज़रूरी है और उन औरतों का वुजूद भी ज़रूरी है जो ग़लताज़त उठती हैं. अगर ये औरतें ना होतीं तो हमारे सब गली-कूचे मर्दों की ग़लतियाँ हरकत से भरे होते।
सआदत हसन मंटो
Hasan manto quotes
दुनिया में जितनी लातें हैं, भूख उनकी मन है।
सआदत हसन मंटो
दिल ऐसी शाय नहीं जो बनती जा सके।
सआदत हसन मंटो
भूख किसी क़िस्म की भी हो, बहुत ख़तरनाक है।
सआदत हसन मंटो
वैश्य और बा-इस्मत औरत का मुकाबला हरगिज़-हरगिज़ नहीं करना चाहिए। दोनों में मुकाबला हो ही नहीं सकता. वैश्या खुद कमाती है और बा-इस्मत औरत के पास कमा कर लाने वाले मौजूद होते हैं।
सआदत हसन मंटो
अगर एक ही बार झूठ ना बोलने और चोरी ना करने की तलाक़ करने पर सारी दुनिया झूठ और चोरी से परहेज करती तो शायद एक ही पैगम्बर काफी होता।
सआदत हसन मंटो
जिस्म दाग़ जा सकता है मगर रूह नहीं दाग़ जा सकता।
सआदत हसन मंटो
औरत हाँ और ना का एक निहायत ही दिलचस्प मुरक्कब है। इंकार और इकरार कुछ इस तरह औरत के वुजूद में ख़ल्ट-मल्ट हो गया है कि बाज़ औकात इकरार-इंकार मालूम होता है और इंकार-इकरार।
सआदत हसन मंटो
saadat hasan manto shayari in hindi
ज़बान बनाई नहीं जाती, ख़ुद बनती है और ना इंसानी कोशिशें किसी ज़बान को फ़ना कर सकती हैं।
सआदत हसन मंटो
अगर मैं किसी औरत के सीने का जिक्र करना चाहूंगा तो औरत का सीना ही कहूंगा। औरत की छतियों को आप मुंगफली, मेज़ या उस्तूरा नहीं कह सकते… यूं तो बाज़ हज़रत के नाज़दीक औरत का वुजूद ही फ़ोहश है, मगर उसका क्या इलाज हो सकता है?
सआदत हसन मंटो
मैं अदब और फिल्म को एक ऐसा माई-खाना समझता हूं, जिसकी बोतलों पर कोई लेबल नहीं होता।
सआदत हसन मंटो
अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्र कर सकते हैं तो उन मौर्यों और बदरूओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन का मेल पीते हैं। अगर हम मंदिरों और मस्जिदों का ज़िक्र कर सकते हैं तो उन क़हबा-ख़ानों का ज़िक्र क्यों नहीं कर सकते जहां से लौट कर कई इंसान मंदिरों और मस्जिदों का रुख़ करते हैं… हम अफ़्यून, चरस, भांग और शराब के ठेके का ज़िक्र कर हो सकता है कि उन कोठों का ज़िक्र क्यों न हो सके जहां हर क़िस्म का नशा इस्तमाल किया जाता है।
सआदत हसन मंटो
ये लोग जिन्हें उर्फ-ए-आम में लीडर कहा जाता है, सियासत और मजहब को लंगड़ा, लूलदा और जख्मी आदमी तसव्वुर करते हैं।
हर हसीन चीज़ इंसान के दिल में अपनी वक़्त अदा कर देती है। ख़्वाह इंसान ग़ैर-तरबियत-याफ़्ता ही क्यों ना हो?
सआदत हसन मंटो
saadat hasan manto quotes in hindi
याद रखिए वतन की खिदमत शिकम-सेर लोग कभी नहीं कर पाएंगे। वजनी मी’दे के साथ जो शख्श वतन की खिदमत के लिए आगे बढ़े, उसे लात मार कर बाहर निकाल दीजिए।
सआदत हसन मंटो
जिस औरत के दरवाज़े शहर के हर उस शख्स के लिए खुले हैं जो अपनी जेबों में चाँदी के चाँद सिक्के रखता हो। ख्वाह वो मोची हो या भंगी, लंगड़ा हो या लूला, खुबसूरत हो या करिहातुल मंज़र, उसकी जिंदगी का अंदाज़ा बा-खूबी लगया जा सकता है।
सआदत हसन मंटो
मज़हब ख़ुद एक बहुत बड़ा मसाला है, अगर इसमे लपेट कर किसी और मसले को देखा जाए तो हमें बहुत हु मग़ज़-दर्दी करनी पड़ेगी।
सआदत हसन मंटो
सियासत और मज़हब की लाश हमारे नाम-वार लीडर अपने कांधे पर उठाए फिरते हैं और सीधे-सादे लोगों को जो हर बात मान लेने के आदी होते हैं ये कहते-फिरते हैं कि वो इस लाश को अज़ सर-ए-नौ ज़िंदगी बख्श रहे है.
सआदत हसन मंटो
मुझे नाम-निहाद कम्युनिस्टों से बड़ी चिढ़ है। वो लोग मुझे बहुत खोलते हैं जो नर्म-नर्म सोफों पर बैठ कर डरांती और हथौड़े की ज़र्बन की बातें करते हैं।
सआदत हसन मंटो
मर्द का तसव्वुर हमेशा औरतों को इस्मत के ताने हुए रस्से पर खड़ा कर देता है।
ये लोग जो अपने घरों का निज़ाम दुरुस्त नहीं कर सकते, ये लोग जिनका किरदार ख़त्म हो चुका है, सियासत के मैदान में अपने वतन का निज़ाम ठीक करने और लोगों को अख़लाक़ियात का सबक देने के लिए निकलते हैं… किस कदर मज़ाक -खेज चीज है!
सआदत हसन मंटो
मैं अफसाना इसलिए लिखता हूं कि मुझे अफसाना-निगारी की शराब की तरह लत लग गई है। मैं अफसाना ना लिखूं तो मुझे ऐसा महसूस होता है कि एम