कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगताअगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगताकरूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता हैमुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
कवि-सम्मेलनों और मुशायरों के क्षेत्र में भी डॉ॰ विश्वास एक अग्रणी कवि हैं।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
मैं तेरा खोया या पाया हो नहीं सकतातेरी शर्तो पे गायब या नुमाया हो नहीं सकताभले साजिश से गहरे दफ़न मुझ को कर भी दो पर मैंस्रजन का बीज हुँ मिटटी में जाया हो नहीं सकता