sad shayari

सावन की पहली बरसात में उनका मिलना आंखों से ओझल नहीं। यारों क्या बताऊं, उस सावन की मुलाकात उम्र भर नैनों में बरसात छोड़ गई।

हम हंसते रहते हैं गमों को छुपाने के लिए वे गम भी ना हमारे है किसी को बताने के लिए।

पलके झुका कर तुम हमें एहसास करती हो। आंसू यूं बहाकर अक्सर हमें याद करती हो।

अपने ख्वाबों को ख्वाब ही रखना, हकीकत में उन्हें अपना न समझना।

आंसुओं से कहा, बस, अब न बरस ये आंखें भी तेरे बिन सूनी है।

किसी बर्बाद-ए-इश्क से कम नहीं। झूठी तसल्ली को सच्च मान लेना।

बोलकर मुहब्बत करने वाले क्या जाने बिन बोले कैसे की जाती है मुहब्बत।