Dr Vishwas kumar shayari & biography | vishwas kumar

by HARNEET KAUR (Ishq Kalam)
Dr Vishawas Kumar shayari & biography

 Dr vishwas kumar Biography & shayari

 

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कुमार विश्वास का जन्म 10 फ़रवरी (वसंत पंचमी के दिन), 1970 को पिलखुआ मे ग़ाज़ियाबाद के उत्तर प्रदेश में हुआ था। चार भाईयों और एक बहन में सबसे छोटे कुमार विश्वास ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लाला गंगा सहाय स्कूल, पिलखुआ में प्राप्त की। उनके पिता डॉ. चन्द्रपाल शर्मा आर एस एस डिग्री कॉलेज (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से सम्बद्ध), पिलखुआ में प्रवक्ता रहे। उनकी माता श्रीमती रमा शर्मा गृहिणी हैं। राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से बारहवीं में उनके उत्तीर्ण होने के बाद उनके पिता उन्हें इंजीनियर (अभियंता) बनाना चाहते थे। डॉ. कुमार विश्वास का मन मशीनों की पढाई में नहीं रमा, और उन्होंने बीच में ही वह पढाई छोड़ दी। साहित्य के क्षेत्र में आगे बढने के ख्याल से उन्होंने स्नातक और फिर हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया, जिसमें उन्होंने स्वर्ण-पदक प्राप्त किया। तत्प्श्चात उन्होंने “कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना” विषय पर पीएचडी प्राप्त किया। उनके इस शोध-कार्य को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।

जीवन वृत्ति

डॉ॰ कुमार विश्वास ने अपना करियर राजस्थान में प्रवक्ता के रूप में 1994 मे शुरू किया। तत्पश्चात वो अब तक महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही डॉ॰ विश्वास हिन्दी कविता मंच के सबसे व्यस्ततम कवियों में से हैं। उन्होंने अब तक हज़ारों कवि-सम्मेलनों में कविता पाठ किया है। साथ ही वह कई पत्रिकाओं में नियमित रूप से लिखते हैं। डॉ॰ विश्वास मंच के कवि होने के साथ साथ हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री के गीतकार भी हैं। उनके द्वारा लिखे गीत अगले कुछ दिनों में फ़िल्मों में दिखाई पड़ेगी। उन्होंने आदित्य दत्त की फ़िल्म ‘चाय-गरम’ में अभिनय भी किया है।

मंच

कवि-सम्मेलनों और मुशायरों के क्षेत्र में भी डॉ॰ विश्वास एक अग्रणी कवि हैं। वो अब तक हज़ारों कवि सम्मेलनों और मुशायरों में कविता-पाठ और संचालन कर चुके हैं। देश के सैकड़ों प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में उनके एकल कार्यक्रम होते रहे हैं। इनमें आई आई टी खड़गपुर, आई आई टी बी एच यू, आई एस एम धनबाद, आई आई टी रूड़की, आई आई टी भुवनेश्वर, आई आई एम लखनऊ, एन आई टी जलंधर, एन आई टी त्रिचि, इत्यादि कई संस्थान शामिल हैं। कई कॉर्पोरेट कंपनियों में भी डॉ॰ विश्वास को अक्सर कविता-पाठ के लिए बुलाया जाता है।

भारत के सैकड़ों छोटे-बड़े शहरों में कविता पाठ करने के अलावा उन्होंने कई अन्य देशों में भी अपनी काव्य-प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। इनमें अमेरिका, दुबई, सिंगापुर मस्कट, अबू धाबी और नेपाल जैसे देश शामिल हैं।

 

पुरस्कार

डॉ. कुंवर बेचैन काव्य-सम्मान एवम पुरस्कार समिति द्वारा 1994 में ‘काव्य-कुमार पुरस्कार’

साहित्य भारती, उन्नाव द्वारा 2004 में ‘डा सुमन अलंकरण’

हिन्दी-उर्दू अवार्ड अकादमी द्वारा 2006 में ‘साहित्य-श्री’

अन्य सूचनाएं

डॉ. कुमार विश्वास हिन्दी मंच के एकमात्र ऐसे कवि हैं, जिनकी कविता (बिना किसी वाद्य यंत्र के, अपने स्वर में) देश के प्राय: सभी बड़े मोबाईल आपरेटरों के कालर बैक ट्यून (काल करने वाले को सुनाई देने वाला ट्यून) में शामिल है।

डॉ. विश्वास इंटरनेट पर सबसे लोकप्रिय कवि हैं। आर्कुट और फ़ेसबुक पर उनका प्रशंसक परिवार अन्य किसी भी कवि के प्रशंसक परिवार से बड़ा है।

वीडियो वेबसाईट यू-ट्यूब पर डॉ. विश्वास की एक ही वीडियो को पाँच लाख से अधिक बार देखा गया है, जो किसी भी अन्य कवि के वीडियो से कई गुना ज़्यादा है।

कविता सूची

 

होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

मैं तो झोंका हूँ

बात करनी है, बात कौन करे

देवदास मत होना

साल मुबारक

तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

एक पगली लड़की के बिन

रंग दुनिया ने दिखाया हैहो काल गति से परे चिरंतन

महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है

बाँसुरी चली आओ

हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें

नेह के सन्दर्भ बौने हो गए

उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती

तुम्हारा फ़ोन आया है

प्रीतो!

मैं तुम्हें ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक

 

अनमोल विचार

 

1. मैं ये कहना चाहता हूं जो राष्ट्र अपने शिक्षक को सम्मान नहीं देता; इतिहास उसे स्थान नहीं देता, उसे गति नहीं देता…।

 

2. पिछले 70 वर्षों में हमने राष्ट्र के रूप में प्रगति नहीं की है, देश के रूप में प्रगति नहीं की। हमारी निजी प्रगति है देश की प्रगति बताई जाती है। एक मराठी प्रोसेसर के लड़के ने 10वीं में फेल होने स्वीकार किया लेकिन 5.5 फुट लड़के ने तपती दोपहरी में बल्ला लेकर गेंद मारने की प्रेक्टिस की। पूरा देश विश्व सामने खड़ा हो गया कि हमारे पास सचिन तेंदुलकर है।

 

3. यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है; तो एक अकेला जुगनू भी अंधकार को हर लेता है।

 

4. आप अपना प्रकाश स्वयं बने।

 

5. हमारा सारा discomfort हमारे खुद के साथ है।

 

6. कच्चे लोग जीवन में बड़ी सफलता नहीं देते।

 

7. आप स्वार्थी बनिए परंतु अपने लिए।

 

8. आपके मां-बाप आपकी किसी प्रवृत्ति पर नाराज हो तो आप समझ लेना कि आप में कुछ अतिरिक्त है, जो हो रहा है, इसमें लज्जित मत होना।

 

9. साध्य महत्वपूर्ण है , ना की साधन महत्वपूर्ण है।

 

10. महत्वाकांक्षा अनंत रखना परंतु लालच शुन्य रखना।

 

11. युद्ध में इतिहास आपका आकलन इस बात से नहीं करता; आप जीते या हारे। इस बात से आकलन करता है कि आपने गोली पीठ पर खायी या छाती पर खायी।

 

12. मैं एक सामान्य आदमी हूं। 24 घंटे मेरे पास भी है; शारीरिक रूप से मैं भी इतना सक्षम नहीं हूं फिर भी मैं 18 घंटे के आस पास काम करता हूं केवल 4-5 घंटे ही सो पाता हूं।

 

13. राजनीति एक युगधर्म है।

 

14. ज्यादातर लोग बड़े दिखते हैं परंतु बड़े होते नहीं।

Dr Vishawas Kumar shayari & biography

kumar vishwas shayari in hindi lyrics

 

मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं

 

मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

 

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

 

कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ

 

ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है

 

पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना

 

Kumar-vishwas-shayari-in-hindi-with-images-2020

 

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है

 

तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।

 

मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा

 

मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है

 

हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है

 

Kumar-vishwas-shayari-in-hindi-with-images-2020

 

कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है

 

एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे

 

सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना,
मर जाऊँगा!

 

हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते.

 

Dr. Kumar Vishwas Shayari collection

 

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे.

 

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है.

 

कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ

 

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ

 

kumar vishwas shayari desh bhakti

 

तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है

 

दिल तो करता है ख़ैर करता है आप का ज़िक्र
ग़ैर करता है क्यूँ न मैं दिल से दूँ दुआ उस को
जबकि वो मुझ से बैर करता है आप तो हू-ब-हू वही हैं
जो मेरे सपनों में सैर करता है इश्क़ क्यूँ आप से
ये दिल मेरा मुझ से पूछे बग़ैर करता है
एक ज़र्रा दुआएँ माँ की ले आसमानों की सैर करता है

 

तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है

 

हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है

 

हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते

 

ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है…
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है…
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…
मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है…”

 

गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.

 

kumar vishwas dosti shayari in hindi

 

उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती
हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती
शाएरी को नज़र नहीं मिलती
मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती
रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ
मगर नहीं मिलती
लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||

 

तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..

 

मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया

 

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..

 

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है

 

मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है

kumar vishwas motivational shayari in hindi

 

सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है

 

फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो ख़ुद को बैनर बना रही होगी
अपने बेटे का चूम कर माथा मुझ को टीका लगा रही होगी
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सिलवट हटा रही होगी
फिर से इक रात कट गई होगी
फिर से इक रात आ रही होगी||

 

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।

 

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

 

स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी

 

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।

 

हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।

 

कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।

 

उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे

वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा

ये मुसाफ़िर तो कोई और ठिकाना चाहे

एक बनफूल था इस शहर में वो भी न रहा

कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे

ज़िंदगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा

वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे||

 

kumar vishwas shayari in hindi image

 

वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

 

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा।

 

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।

 

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है, मेरी आँखों में पानी है
जो तुम समझो तो मोती है, जो ना समझो तो पानी है.

 

पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है ||

 

ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है
हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है
इतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा ,
लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है.

100000

 

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.

 

मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं

 

मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा

 

मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

Kumar Vishwas Latest Shayari

 

अमावस की काली रातों में, जब दिल का दरवाजा खुलता है ,
जब दर्द की प्याली रातों में, गम आंसूं के संग होते हैं ,
जब पिछवाड़े के कमरे में , हम निपट अकेले होते हैं ,

 

जब उंच -नीच समझाने में , माथे की नस दुःख जाती हैं ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है !!

 

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

 

जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,
जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,

Kumar Vishwas Dosti Shayari in Hindi

 

कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ

 

हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है

Kumar Vishwas Shayari in Hindi

 

ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है

 

जब जल्दी घर जाने की इच्छा , मन ही मन घुट जाती है ,
जब कॉलेज से घर लाने वाली , पहली बस छुट जाती है ,

Kumar Vishwas  Shayari

 

पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना

 

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है

 

जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है ,
जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है

 

तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।

Famous Kumar Vishwas Poetry

 

मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है

 

यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है

 

जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है ,
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है ,

 

जब बड़की भाभी कहती हैं , कुछ सेहत का भी ध्यान करो ,
क्या लिखते हो दिनभर , कुछ सपनों का भी सम्मान करो ,

 

जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं ,
जब बाबा हमें बुलाते हैं , हम जाते हैं , घबराते हैं ,

कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी

 

जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है

 

जब साड़ी पहने एक लड़की का, एक फोटो लाया जाता है ,
जब भाभी हमें मनाती हैं , फोटो दिखलाया जाता है ,

Kumar Vishwas Shayari in Hindi

 

मैं तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता
तेरी शर्तो पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता
भले साजिश से गहरे दफ़न मुझ को कर भी दो पर मैं
स्रजन का बीज हुँ मिटटी में जाया हो नहीं सकता

 

कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है

डॉ. कुमार विश्वास की मशहूर शायरी

 

एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे

दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं ,
उसके दिल में भैया , तेरे जैसे प्यारे जज्बात नहीं ,

 

तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है

Famous Shayari Of Dr. Kumar Vishwas

Dr Vishawas Kumar shayari & biography

वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती है ,
छुप -छुप सारे व्रत करती है , पर मुझसे कभी ना कहती है ,

 

कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ

 

सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना,
मर जाऊँगा!

 

बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है ||

Kumar Vishwas Shayari Desh Bhakti

 

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ

 

दिलों से दिलों का सफर आसान नहीं होता,
ठहरे हुए दरिया में तुफान नहीं होता,
मोहब्बत तो रूह में समा जाती है,
इसमें शब्दों का कोई काम नहीं होता,
मैं कवि हूं प्रेम का बांट रहा हूं प्रेम,
इससे बड़ा कोई काम नहीं होता”

 

बतायें क्या हमें किन-किन सहारों ने सताया है
नदी तो कुछ नहीं बोली, किनारों ने सताया है
सदा ही शूल मेरी राह से ख़ुद हट गए लेकिन
मुझे तो हर घडी हर पल बहारों ने सताया है

 

तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है

कुमार विश्वास के शेर

 

जब भी आना उतर के वादी में ,
ज़रा सा चाँद लेते आना तुम “

मिलते रहिए, कि मिलते रहने से
मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं.

 

हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है

 

गम में हूँ य़ा हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं
खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं
मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं”

कुमार विश्वास शायरी

तुम अगर नहीं आयी गीत गा न पाउगा
सांस साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाउगा
तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है
बांसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है

 

रंग दुनियाने दिखाया है निराला, देखूँ
है अंधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ
आईना रख दे मेरे सामने, आखिर मैं भी
कैसा लगता हूँ तेरा चाहने वाला देखूँ !!

 

हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते

 

तुमने अपने होठों से जब छुई थीं ये पलकें !
नींद के नसीबों में ख्वा़ब लौट आया था !!
रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के !
तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था !!

Kumar Vishwas Motivational Shayari in Hindi

 

प्रथम पद पर वतन न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते
किसी शव पर कफ़न न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते
भले सत्ता को कोई भी सलामी दे न दे लेकिन
शहीदों को नमन न हो तो हम चुप रह नहीं सकते

 

इन उम्र से लम्बी सड़को को, मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं,
बस दोड़ती फिरती रहती हैं, हम ने तो ठहरते देखा नहीं..!!

 

वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,
विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,
मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,
तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में

 

गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.

 

डॉ. कुमार विश्वास की प्रेरणादायी शायरी

 

उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती
हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती
शाएरी को नज़र नहीं मिलती
मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती
रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ
मगर नहीं मिलती
लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||

 

हर ओर शिवम-सत्यम-सुन्दर ,
हर दिशा-दिशा मे हर हर है
जड़-चेतन मे अभिव्यक्त सतत ,
कंकर-कंकर मे शंकर है…”

 

मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया

All Shayari Of Dr. Kumar Vishwas In Hindi

 

जो किए ही नहीं कभी मैंने ,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !!

 

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।

 

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..

 

अपनों के अवरोध मिले, हर वक्त रवानी वही रही
साँसो में तुफानों की रफ़्तार पुरानी वही रही
लाख सिखाया दुनिया ने, हमको भी कारोबार मगर
धोखे खाते रहे और मन की नादानी वही रही…!!

Dr. Kumar Vishwas Best Shayari

 

तूफ़ानी लहरें हों
अम्बर के पहरे हों
पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों
सागर के माँझी मत मन को तू हारना
जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है !!

 

कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।

 

राजवंश रूठे तो
राजमुकुट टूटे तो
सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार, पार सागर के एक बार
पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है

 

मैं अपने गीतों और ग़ज़लों से उसे पेगाम करता हु
उसकी दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है, में अपना काम करता हूँ

Kumar Vishwas Famous Shayari in Hindi

 

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।

 

घर भर चाहे छोड़े
सूरज भी मुँह मोड़े
विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है

 

हिम्मत ऐ दुआ बढ़ जाती है
हम चिरागों की इन हवाओ से
कोई तो जाके बता दे उसको
दर्द बढ़ता है अब दुआओं से

 

मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है

कुमार विश्वास की शायरी

 

सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है

 

फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो ख़ुद को बैनर बना रही होगी
अपने बेटे का चूम कर माथा मुझ को टीका लगा रही होगी
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सिलवट हटा रही होगी
फिर से इक रात कट गई होगी
फिर से इक रात आ रही होगी||

 

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

 

ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो !!

कुमार विश्वास शायरी हिंदी

 

स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी

 

हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।

 

वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

 

चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,
खुद को पर बेक़रार मत करना ,
आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?
हम न कहते थे प्यार मत करना…!!

Best Love Shayari By Dr. Kumar Vishwas

 

उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है

 

कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.

Kumar Vishwas ki Shayari

 

कितनी दुनिया है मुझे ज़िन्दगी देने वाली
और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है
खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ
मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है

 

हमें बेहोश कर साकी , पिला भी कुछ नहीं हमको
कर्म भी कुछ नहीं हमको , सिला भी कुछ नहीं हमको
मोहब्बत ने दे दिआ है सब , मोहब्बत ने ले लिया है सब
मिला कुछ भी नहीं हमको , गिला भी कुछ नहीं हमको !!

Kumar Vishwas Hindi Shayari

 

आँखें की छत पे टहलते रहे काले साये,
कोई पहले में उजाले भरने नहीं आया…!
कितनी दिवाली गयी, कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पर कोई दीप न धरने आया…!!

 

गाँव-गाँव गाता फिरता हूँ, खुद में मगर बिन गाय हूँ,
तुमने बाँध लिया होता तो खुद में सिमट गया होता मैं,
तुमने छोड़ दिया है तो कितनी दूर निकल आया हूँ मैं…!!
कट न पायी किसी से चाल मेरी, लोग देने लगे मिसाल मेरी…!
मेरे जुम्लूं से काम लेते हैं वो, बंद है जिनसे बोलचाल मेरी…!!

Kumar Viswas Shayri

 

जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
हास्य बातो या जज़्बातो मुलाकातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में ये सोचते है सब
ये हंगामे की राते है या है रातो का हंगामा

 

हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!

Kumar Vishwas Poem Lyrics

मेहफिल-महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है,
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल जाना.
रस्ते में ये मैखाना तो पड़ता है..

हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूर
या’नी हम बे-तरह ख़ुदा के हैं

हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो

Kumar Vishwas Shayari in Hindi

हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए हैं
कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं

हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए’तिबार किया
सख़्त बे-ए’तिबार थे हम तो

हमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का
सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है

याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं

shayari on zindagi

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