shayari on love
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मुझे इश्क नहीं उनसे,
यही शिकायत करती रही,
उम्र बीत गई मेरी,उम्र भर उनकी फिक्र में।
तेरे इश्क का इल्ज़ाम लगाया खुद पर
मेरे इश्क को शक का पैगाम न देना
रुठ जाएगे खुद से, इस दुनिया से,
मेरे नाम के साथ किसी ओर का नाम न लेना।
इस बाग के तुम माली बन जाना
हम अगर मुरझाए….
तो तुम प्यार से पानी दे जाना।
खुबसूरत हूं मैं
खुद से नहीं पूछा मैंने
पहगामे-ए-इश्क आए बहुत
कभी देखा नहीं मैंने.. तुम हो जो मेरे साथ ।
तुम्हारी आंखों के दीदार ने पलके झुकाई मेरी
हम उनकी वफा नहीं, वह हमसे खफा नहीं।
मेरे इश्क को बहते देना, तुम पर,
कहीं तलाब न बनकर रहे जाए ।
हमने सोचा पैगाम लिख डालें
सब कुछ उनके नाम लिख डालें
तुम्हारे इश्क के आशियाने में
अपनी जिंदगी बसर डालें।
क्यो मुहब्बत को बदनाम किया जाता है।
फिर भी हर रिश्ते में उसका नाम लिया जाता है।
जरुरी नहीं मोहब्बत एक बार हो।
हर एक के साथ मुहब्बत को अलग नाम दिया जाता है।
क्या कोई अच्छा लगे,
तो मुहब्बत की जगह उसे नफरत का नाम दिया जाता है।
फिर क्यों मुहब्बत को ही बदनाम किया जाता है।
दो पल बैठकर किसी से दिल की बात बोल जाना।
जानकर कि फिर कभी उसका न लौट आना।
न जाने क्या था उसमें,
जो खुद को नहीं रोक दिया।
क्यों उसे सब कुछ बोल दिया।
उनके आने का इंतजार सताया था
वक्त रहते ही अपने दिल को समझाया था
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उनके इश्क को अनदेखा किया जमाने के लिए,
उनकी नरज़गी से ही इश्क करते रहे।
चांद की चांदनी ने कहा
मुझसे चांद क्यों हैरान,
तारों के साथ रहें कर भी क्यों परेशान।
साफ-साफ कह दो
जो दिल में दबाए हुए हो
अपने अरमानों को छुपाए हुए हो
हम जानते है तुम्हारे दिल की बात
पर तुम्हारी जुबानी सुनने में है कुछ खास।
आंखों में नमी,होठों पर उदासी
कैसी कशमकश,दिल पर लग जाती।
खुद ही खुद से रूठ गया
ना जाने यह कैसा सफर मुझसे छूट गया।
आना था मुझे तेरे दरमियान
फिर भी ना जाने तुझ पर ही, क्यों लगा यह एग्जाम।
उनके इश्क को अनदेखा किया जमाने के लिए,
उनकी नरज़गी से ही इश्क करते रहे।
मुझे भी ख्याल उनका आया
जिन्होंने मेरी तकलीफ़ को अपना बनाया,
खुदगर्ज हो गई मैं,आईने ने मुझे बताया।
आईने में अपने गुरुर को निहारती रही,मैं
इश्क भी आईना देखकर रूठ गया मुझसे।
तुमसे, तुम्हारे साथ का, कर्ज नहीं लिया।
फिर क्यों, मैं इस का ब्याज लौटा रहा हूं।
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रुह से तेरी रूबरू हुईं
तुझे पाने की कोई जद्दोजहद न हुई
ख्यालों में तेरी रुसवाई हुई न जाने
ये कैसी जुदाई हुई।
लगता है बरसात होने वाली है
जाने अनजाने में ही सही
फिर मुलाकात होने वाली है।
दर्दे दिल की कहानी
हम सुना भी जाए
इन पलों को छोड़कर
क्यों न आगे बढ़ जाए
समझाते है। इस दर्दे दिल को,
फिर ये वही थम जाएं।
दिल दुखा उसका
जब तुमसे मुलाकात हुई
जाने अनजाने से ही सही
वो पहली मुलाकात हुई,
कसुर तुम्हारा भी न था,
न जाने क्यों उसके नैनों से बरसात हुई,
कोई रिश्ता भी न था फिर कुछ बात हुई।
यूं तो बातें हजारों हम भी कर लेंगे
तुम्हारे बिन अब दुनिया से हम भी लड़ लेंगे
चाहते हो छोड़कर जाना,
क्या करें,अब सब कुछ लगाता है बेगाना।
उनका महफिल में आना,
कुछ ना बोल कर, बस मुस्कुरा,
महफिल को दगा दे गया।
तुम महफिल में आते ,गुमसुम से रह जाते,
कितने ग़म छुपाते औरों को न सही,
हमें बता कर चले जाते।
रात और मेरे बीच नींद नहीं आती।
कैसे तुम्हें बताएं,बस सुबह हो जाती।
मुझे अपनी खूबसूरती पर घमंड नहीं
तेरी बदसूरती को भी अपना लेंगे
एक बार नज़र तो उठा मेरे दोस्त ,
बस तुझे गले से लगा लेंगे।
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उनके इश्क को अनदेखा किया जमाने के लिए,
उनकी नरज़गी से ही इश्क करते रहे।
तुम डूब जाना उन अल्फाजों में,
जो तुम्हें प्यार से पुकारते
देख तेरी हर ख्वाहिशों को पूरा किया मैंने
अपने हर ख्वाबों को तोड़कर
मुझे कुछ नहीं चाहिए
बस तुम कभी ना जाना मुंह मोड़ कर।
शायद गलत हम ही होंगे
जो उसके दिल में जगह बना दी।
हमने तो भगवान समझ कर
उनके दिल में जोत जला ली।
उनका इश्क हम पर उधार रहा,
औकात नहीं कि उसे लौटा सकें।
अंबार लगा है खुशियों का,
फिर भी कुछ सन्नाटा,
दिल की धड़कन का,
मेरे साथ कुछ नाता ,
ढूंढ रहा था तुझको,
खुशियों के बाजार में,
अकेला हूं मैं बिन तेरे,
इतने बड़े अंबार में।
झूठ मत बोलो
ना ही उसे टटोलो
खुद ब खुद आएगा
तुम्हारे इश्क में होगा
तो जरूर सब कुछ बता जाएगा
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मुझे भी ख्याल उनका आया
जिन्होंने मेरी तकलीफ़ को अपना बनाया,
खुदगर्ज हो गई मैं,आईने ने मुझे बताया।
अपने अरमानों को तकलीफ़ देती रही,
दो पल के लिए उधार न दे सकी जमाने को।
उनके इश्क को अनदेखा किया जमाने के लिए,
उनकी नरज़गी से ही इश्क करते रहे।
मेरा इश्क इतना मशहूर होगा,
मेरी बाहों में उन्हें उम्र भर का सूकुन होगा।
मैं चांद नहीं, दाग़ लगाओगे।
तुम्हें जितनी बार याद करता हूं
हर बार तुम्हें प्यार करता हूं।
तेरी खुशियों को संभाल कर रखा मैंने
ताकि वक्त- वक्त पर,तुम पर लौटा सकूं।