Rahat indori shayari in hindi | bio of Rahat Indori

by HARNEET KAUR (Ishq Kalam)
Rahat indori shayari in hindi

Biography & shayari of Rahat Indori

Rahat indori shayari in hindi | biography of Rahat Indori |  राहत इंदौरी की जीवनी | Rahat indori ki shayari donwload with images

Rahat indori shayari in hindi

जन्म

राहत इंदौरी (Rahat Indori) का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी  जोकि कपड़ा मिल के कर्मचारी थे उनकी माता का नाम मकबूल उन निशा बेगम था।

राहत जी की दो बड़ी बहनें थीं जिनके नाम तहज़ीब और तक़रीब थे,एक बड़े भाई अकील और फिर एक छोटे भाई आदिल रहे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और राहत जी को शुरुआती दिनों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपने ही शहर में एक साइन-चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित किया था। वह कुछ ही समय में इंदौर के व्यस्ततम साइनबोर्ड चित्रकार बन गए। क्योंकि उनकी प्रतिभा, असाधारण डिज़ाइन कौशल, शानदार रंग भावना और कल्पना की है कि और इसलिए वह प्रसिद्ध भी हैं। यह भी एक दौर था कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार था। यहाँ की दुकानों के लिए किया गया पेंट कई साइनबोर्ड्स पर इंदौर में आज भी देखा जा सकता है।

उन्होने दो बार शादी की। उनकी पत्नियों के नाम अंजुम रहबर (1988-1993), सीमा राहत है। उनके बच्चों के नाम बेटों का नाम फ़ैसल राहत, सतलज़ राहत तथा उनकी बेटीका नाम शिब्ली इरफ़ान है।

Rahat indori

शिक्षा

उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

Rahat indori bio
करियर

राहत इंदौरी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके थे । उन्होने महज 19 वर्ष की उम्र में शेर पेश करने शुरू कर दिये थे। देश – विदेश में उनकी शायरी के बहुत से मुरीद है। डॉ। रहत इंदोरी लगातार 40 से 45 साल के मुशैरा और कवी सम्मेलन में प्रदर्शन कर रहे थे । कविता पढ़ने के लिए उन्होंने व्यापक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा की थी  उन्होंने भारत के लगभग सभी जिलों में कवि संप्रदायों में भाग लिया था ।  और कई बार अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, केएसए, कुवैत, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल आदि से भी यात्रा की है। 

Rahat indori bio

राहत इंदौरी की शायरी का अंदाज़ बहुत ही दिलकश होता था । वे अपनी लोकप्रियता के लिये कोई ऐसा सरल रास्ता नहीं चुनते जो शायरी की इज़्ज़त को कम करता हो। राहत के भीतर का एक और राहत इस वक़्त महफ़िल में नमूदार होता था । और वह एक तिलिस्म सा छा जाता था । राहत मुशायरों के ऐसे हरफनमौला थे ।  जिन्हें आप किसी भी क्रम पर खिला लें, वे बाज़ी मार ही लेते थे । उनका माईक पर होना ज़िन्दगी का होना होता है। यह अहसास सुनने वाले को बार-बार मिलता है कि राहत रूबरू हैं और अच्छी शायरी सिर्फ़ और सिर्फ़ इस वक़्त सुनी जा रही है। उन्होने फिल्मी गीत भी लिखे, इनमें खुद्दार, सर, मुन्नाभाई एमबीएस सहित कई फिल्में शामिल है।

10 अगस्त 2020 को उन्हें कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक पाया गया और उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां 11 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया क्योंकि उनके निधन से पहले उन्हें पूर्णहृदरोध का सामना करना पड़ा था। 

Rahat indori shayari

प्रसिद्ध फ़िल्मी गीत

आज हमने दिल का हर किस्सा (फ़िल्म- सर)
तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार)
खत लिखना हमें खत लिखना (फ़िल्म- खुद्दार)

प्रसिद्ध ग़ज़ल

 

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है

लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है

मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है

Rahat indori ki shayari donwload 

 

Rahat indori shayari  in hindi

 

जुबां तो खोल, नज़र तो मिला , जवाब तो दे,
मै कितनी बार लूटा हूँ, मुझे हिसाब तो दे,
तेरे बदन की लिखावट में है उतार-चढाव
मैं तुझको कैसे पढ़ूँगा, मुझे किताब तो दे।

 

मैंने दिल देकर उससे की थी वफ़ा की इब्तिदा,
उसने धोका देके ये किस्सा मुक्कमल कर दिया।
शहर में चर्चा है आखिर ऐसी लड़की कौन है,
जिसने अछे-खासे एक शहर को पागल कर दिया।

 

अफवाह थी मेरी तबीयत खराब है,
लोगों ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया,
दो ग़ज़ सही मगर ये मेरी मिलकीयत है,
ये मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।

 

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,
ये कैचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं

 

एक-एक हर्फ़ का अंदाज बदल रखा है,
आज से मैंने तेरा नाम ग़ज़ल रखा है,
मैंने शाहों की मोहब्बात का भरम तोड़ दिया,
मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रखा है।

Rahat indori shayari images

 

छु गया जब कभी खयाल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता राहा,
कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता राहा।

 

फूलों की दुकाने खोलो,
खुशबू का व्यापार करो।
इश्क खता हैं, तो ये खता
एक बार नहीं, सौ बार करो।

 

हौसले ज़िंदगी के देखते हैं,
चलिये कुछ रोज जी के देखते हैं,
नींद पिछली सदी की जख्मी है,
ख्वाब अगली सदी के देखते हैं।

 

खाक से बड़कर कोई दौलत नहीं होती,
छोटी-मोटी बात पे हिजरत नहीं होती,
पहले दीप जले तो चर्चे होते थे,
अब शहर जले तो हैरत नहीं होती।

 

बनके एक हादसा बाजार में आ जायेगा,
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जायेगा,
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं,
कौन, कब, कौन सी सरकार मे आा जायेगा।

Rahat indori ki shayari status

 

Rahat indori shayari  in hindi

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

 

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

 

हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।

 

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,​
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।

 

​तेरी हर बात ​मोहब्बत में गँवारा करके​,
​दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​,
​मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​,​​
​तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।

 

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।

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अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।

 

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।

 

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।

 

उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

 

हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।

Two Line Shayaris rahat indori

Rahat indori shayari  in hindi

 

मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

 

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।

 

आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।

 

यूं तो हर फूलों पे लिखा है की तोडो मत,
दिल मचलता है तो कहता है, “छोड़ो मत”।

 

थक गया हूँ तेरी नौकरी से जिंदगी,
मुनासिब होगा अगर, मेरा हिसाब कर दे ।

 

ऐसी सर्दी है की सूरज की दुहाई मांगों,
जो हो परदेश में वो, किसी से राजाई मांगों।

 

कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नजर मे रहो,
ये सब तुम्हारे ही घर हैं, किसी भी घर मे रहो।

 

क्या करेगा वो समझकर की सियासत क्या है,
जिसने ये जान लिया है, की मोहब्बत क्या है।

 

किसी को खोकर भी,
सिर्फ उसी को चाहते रहना,
हर किसी के बस की बात नहीं।

 

तेरी कुछ बात ही अलग है,
वरना मै अपने आप से भी
कम ही मिलता हूँ।

Rahat indori in hindi

छु गया जब कभी खयाल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता राहा,
कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता राहा।

 

उसकी याद आई है, साँसों जरा आहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है।

 

हर नज़र को तू नजर आये, ऐसा इत्तेफाक कर दे।
सबके अंदर मैं तुझको देखूँ, मेरी निगाह पाक कर दे ।

 

झुकने से रिश्ता गहरा हो तो झुक जावो,
पर हर बार आपको ही झुकना पड़े, “तो रुक जावो”।

 

समुंदरों के सफर में हवा चलता है,
जहाज खुद नहीं चलते, खुदा चलाता है।

 

दिलों मे आग लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चेहरों पे दोहरी नकाब रखते हैं।

 

आँखों मे पानी रखो,
होंठों पे चिंगारी रखो,
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो ।

 

जब लगे पैसे कमाने तो समझ आया,
सुख तो मा-बाप के पैसों से पूरे होते है,
अपने पैसों से तो, जरूरत पूरी होती है।

 

एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों,
दोस्ताना ज़िंदगी से, मौत से यारी रखो।

 

बादशाहों से भी फेके हुये सिक्के ना लिए हमने,
खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से।

Rahat indori shayri status

 

बस यही दो मसलें, ज़िंदगी भर ना हल हुये,
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुक़ामल हुये।

 

मुंतजिर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे,
चाँद को छत पर बुला लूँगा इशारा करके।

 

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएं।

 

अब हम मकान मे ताला लगाने वाले हैं,
पता चला है की मेहमान आने वाले हैं।

 

राज जो कुछ हो इशारों मे बता भी देना,
हाँथ जब उससे मिलावो, दबा भी देना।

 

ख्याल था की ये पथराव रोक दें चल कर,
जो होश आया तो देखा लहू-लहू हम थे।

 

कत्ल करने की खुली छूट है अब भी,
लेकिन प्यार मत करना, यहाँ प्यार पे पाबंदी है।

 

लोग हर मोड पे रुक रुक के संभलते क्यूँ है,
इतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यूँ है।

 

वक्त ने काहा-“काश थोड़ा और सबर होता”,
सबर ने कहा- “काश थोड़ा और वक्त होता”।

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