Here is hindi collection of amir khusro shayari in hindi, amir khusro ki shayari with images
amir khusro ki shayari
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Biography on Amir Khusaro
अमीर खुसरो का जन्म सन् 1253 में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम तुर्क सैफुद्दीन था।और उनकी माता एक भारतीय मुसलमान थी। अमीर खुसरो एक लाचन जाति तुर्क थे।
अमीर खुसरो देहवल , जिससे अबू हसन यमन उद-दन खुसरो के नाम से भी जाना जाता है
वह एक भारतीय सूफी संगीतकार,कवि ,शायर और गायक थे। वह अपने जीवन काल में कुल 8
सुल्तानों का उन्होंने शासन देखा।अमीर खुसरो पहले मुसलमान शायर कवि थे। जिन्होंने हिंदी में अपनी रचनाएं की। अधिकतर अमीर खुसरो शायरी हिंदी में लिखा करते थे और सबसे खास बात उनकी यह थी कि वह उर्दू शायरी में भी खूब हिंदी शब्दों का उपयोग करते थे।उन्हें खड़ी बोली का अविष्कार कहा जाता है। 9 साल की उम्र में ही उन्होंने कविताएं पढ़ना और लिखना शुरू कर दी था। और 20 साल के होते-होते वह एक प्रसिद्ध कवि के रूप में जाने जाते थे ।वह अपनी पहेलियां और दोहे के लिए मशहूर थे।(1253-1325)
Amir khusro shayari
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Amir khusro shayari in hindi
amir khusro ki shayari
खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग,
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।
khusaro baajee prem kee main kheloon pee ke sang,
jeet gayee to piya more haaree pee ke sang.
साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन,
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।
saajan ye mat jaaniyo tohe bichhadat mohe ko chain,
diya jalat hai raat mein aur jiya jalat bin rain.
अंगना तो परबत भयो,देहरी भई विदेस,
जा बाबुल घर आपने, मैं चली पिया के देस।
angana to parabat bhayo, deharee bhee vides,
ja baabul ghar aapane, main chalee piya ke des.
amir khusro ki shayari
साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन,
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।
saajan ye mat jaaniyo tohe bichhadat mohe ko chain,
diya jalat hai raat mein aur jiya jalat bin rain.
रैन बिना जग दुखी और दुखी चन्द्र बिन रैन,
तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन।
rain bina jag dukhee aur dukhee chandr bin rain,
tum bin saajan main dukhee aur dukhee daras bin nainn.
आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ,
न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ,
aa saajan more nayanan mein, so palak dhaap tohe doon,
na main dekhoon aur na ko, na tohe dekhan doon,
Ameer khusro shayari in hindi
अंगना तो परबत भयो देहरी भई विदेस,
जा बाबुल घर आपने मैं चली पिया के देस।
angana to parabat bhayo deharee bhee vides,
ja baabul ghar aapane main chalee piya ke des.
खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग,
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।
khusaro baajee prem kee main kheloon pee ke sang,
jeet gayee to piya more haaree pee ke sang.
अपनी छवि बनाई के मैं तो पी के पास गई,
जब छवि देखी पीहू की सो अपनी भूल गई।
apanee chhavi banaee ke main to pee ke paas gaee,
jab chhavi dekhee peehoo kee so apanee bhool gaee.
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khusro shayari with images
खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय,
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय।
khusaro paatee prem kee birala baanche koy,
ved, kuraan, pothee padhe, prem bina ka hoy.
खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वाकी धार,
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार।
khusaro dariya prem ka, ultee vaakee dhaar,
jo utara so doob gaya, jo dooba so paar.
खुसरवा दर इश्क बाजी कम जि हिन्दू जन माबाश,
कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।
khusarava dar ishk baajee kam ji hindoo jan maabaash,
kaz barae murda ma sozad jaan-e-khes ra.
खीर पकाई जतन से, चरखा दिया जलाएं,
आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा।
kheer pakaee jatan se, charakha diya jalaen,
aaya kutta kha gaya, too baithee dhol baja.
Amir khusro shayari in hindi
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग,
तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग।
Khusaro rain suhag ki jagi pi ke sang,
tan mero man piyo ko dou bhaye ek rang.
उज्जवल बरन अधीन तन एक चित्त दो ध्यान,
देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।
ujjaval baran adheen tan ek chitt do dhyaan,
dekhat mein to saadhu hai par nipat paap kee khaan.
गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस,
चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस।
goree sove sej par, mukh par daare kes,
chal khusaro ghar aapane, saanjh bhayee chahu des.
श्याम सेत गोरी लिए जनमत भई अनीत,
एक पल में फिर जात है जोगी काके मीत।
shyaam set goree lie janamat bhee aneet,
ek pal mein phir jaat hai jogee kaake meet.
खुसरो मौला के रुठते, पीर के सरने जाय,
कहे खुसरो पीर के रुठते, मौला नहिं होत सहाय।
khusaro maula ke ruthate, peer ke sarane jaay,
kahe khusaro peer ke ruthate, maula nahin hot sahaay.
amir khusro ki shayari status
आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ,
न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ।
aa saajan more nayanan mein,so palak dhaap tohe doon,
na main dekhoon aur na ko, na tohe dekhan doon.
पंखा होकर मैं डुली, साती तेरा चाव,
मुझ जलती का जनम गयो तेरे लेखन भाव।
amir khusro shayari in hindi
pankha hokar main dulee, saatee tera chaav,
mujh jalatee ka janam gayo tere lekhan bhaav.
नदी किनारे मैं खड़ी सो पानी झिलमिल होय,
पी गोरी मैं साँवरी अब किस विध मिलना होय।
nadee kinaare main khadee so paanee jhilamil hoy,
pee goree main saanvaree ab kis vidh milana hoy.
रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ,
जिसके कपरे रंग दिए सो धन धन वाके भाग।
rainee chadhee rasool kee so rang maula ke haath,
jisake kapare rang die so dhan dhan vaake bhaag.
poety of amir kushro
1. आ घिर आई दई मारी घटा कारी
आ घिर आई दई मारी घटा कारी।
बन बोलन लागे मोर
दैया री बन बोलन लागे मोर।
रिम-झिम रिम-झिम बरसन लागी छाई री चहुँ ओर।
आज बन बोलन लागे मोर।
कोयल बोले डार-डार पर पपीहा मचाए शोर।
आज बन बोलन लागे मोर।
ऐसे समय साजन परदेस गए बिरहन छोर।
आज बन बोलन लागे मोर।
2. सकल बन फूल रही सरसों
सकल बन फूल रही सरसों।
बन बिन फूल रही सरसों।
अम्बवा फूटे, टेसू फूले,
कोयल बोले डार-डार,
और गोरी करत सिंगार,
मलनियाँ गेंदवा ले आईं कर सों,
सकल बन फूल रही सरसों।
तरह तरह के फूल खिलाए,
ले गेंदवा हाथन में आए।
निजामुदीन के दरवज़्ज़े पर,
आवन कह गए आशिक रंग,
और बीत गए बरसों।
सकल बन फूल रही सरसों।
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3. आज रंग है ऐ माँ रंग है री
आज रंग है ऐ माँ रंग है री,
मेरे महबूब के घर रंग है री।
अरे अल्लाह तू है हर,
मेरे महबूब के घर रंग है री।मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया,
निजामुद्दीन औलिया-अलाउद्दीन औलिया।
अलाउद्दीन औलिया, फरीदुद्दीन औलिया,
फरीदुद्दीन औलिया, कुताबुद्दीन औलिया।
कुताबुद्दीन औलिया मोइनुद्दीन औलिया,
मुइनुद्दीन औलिया मुहैय्योद्दीन औलिया।
आ मुहैय्योदीन औलिया, मुहैय्योदीन औलिया।
वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।अरे ऐ री सखी री,
वो तो जहाँ देखो मोरो (बर) संग है री।
मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया,
आहे, आहे आहे वा।
मुँह माँगे बर संग है री,
वो तो मुँह माँगे बर संग है री।निजामुद्दीन औलिया जग उजियारो,
जग उजियारो जगत उजियारो।
वो तो मुँह माँगे बर संग है री।
मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया।
गंज शकर मोरे संग है री।
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखयो सखी री।
मैं तो ऐसी रंग देस-बदेस में ढूढ़ फिरी हूँ,
देस-बदेस में।
आहे, आहे आहे वा,
ऐ गोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
मुँह माँगे बर संग है री।सजन मिलावरा इस आँगन मा।सजन, सजन तन सजन मिलावरा।
इस आँगन में उस आँगन में।
अरे इस आँगन में वो तो, उस आँगन में।
अरे वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।
आज रंग है ए माँ रंग है री।ऐ तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
मैं तो तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
मुँह माँगे बर संग है री।
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी री।
ऐ महबूबे इलाही मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी।
देस विदेश में ढूँढ़ फिरी हूँ।
आज रंग है ऐ माँ रंग है ही।
मेरे महबूब के घर रंग है री।
amir shayari
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4. ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
भाग लगे इस आँगन को
बल-बल जाऊँ मैं अपने पिया के,
चरन लगायो निर्धन को।
मैं तो खड़ी थी आस लगाए,
मेंहदी कजरा माँग सजाए।
देख सूरतिया अपने पिया की,
हार गई मैं तन मन को।
जिसका पिया संग बीते सावन,
उस दुल्हन की रैन सुहागन।
जिस सावन में पिया घर नाहि,
आग लगे उस सावन को।
अपने पिया को मैं किस विध पाऊँ,
लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊँ
तुम ही जतन करो ऐ री सखी री,
मै मन भाऊँ साजन को।
amir khusro ki shayari
5. अम्मा मेरे बाबा को भेजो री – कि सावन आया
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री – कि सावन आया
बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री – कि सावन आया
अम्मा मेरे भाई को भेजो री – कि सावन आया
बेटी तेरा भाई तो बाला री – कि सावन आया
अम्मा मेरे मामू को भेजो री – कि सावन आया
बेटी तेरा मामू तो बांका री – कि सावन आया
6. बहुत दिन बीते पिया को देखे
बहुत दिन बीते पिया को देखे,
अरे कोई जाओ, पिया को बुलाय लाओ
मैं हारी वो जीते पिया को देखे बहुत दिन बीते ।सब चुनरिन में चुनर मोरी मैली,
क्यों चुनरी नहीं रंगते ?
बहुत दिन बीते ।
खुसरो निजाम के बलि बलि जइए,
क्यों दरस नहीं देते ?
बहुत दिन बीते ।
7. बहुत कठिन है डगर पनघट की
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी
मेरे अच्छे निज़ाम पिया।
कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी
ज़रा बोलो निज़ाम पिया।
पनिया भरन को मैं जो गई थी।
दौड़ झपट मोरी मटकी पटकी।
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
खुसरो निज़ाम के बल-बल जाइए।
लाज राखे मेरे घूँघट पट की।
कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
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8. बहुत रही बाबुल घर दुल्हन
बहुत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तोरे पी ने बुलाई।
बहुत खेल खेली सखियन से, अन्त करी लरिकाई।
न्हाय धोय के बस्तर पहिरे, सब ही सिंगार बनाई।
बिदा करन को कुटुम्ब सब आए, सगरे लोग लुगाई।
चार कहार मिल डोलिया उठाई, संग परोहत नाई।
चले ही बनेगी होत कहाँ है, नैनन नीर बहाई।
अन्त बिदा हो चलि है दुल्हिन, काहू कि कछु न बने आई।
मौज-खुसी सब देखत रह गए, मात पिता और भाई।
मोरी कौन संग लगन धराई, धन-धन तेरि है खुदाई।
बिन मांगे मेरी मंगनी जो कीन्ही, नेह की मिसरी खिलाई।
अंगुरि पकरि मोरा पहुँचा भी पकरे, कँगना अंगूठी पहिराई।
एक के नाम कर दीनी सजनी, पर घर की जो ठहराई।
नौशा के संग मोहि कर दीन्हीं, लाज संकोच मिटाई।
सोना भी दीन्हा रुपा भी दीन्हा बाबुल दिल दरियाई।
गहेल गहेली डोलति आँगन मा पकर अचानक बैठाई।
बैठत महीन कपरे पहनाये, केसर तिलक लगाई।
गुण नहीं एक औगुन बहोतेरे, कैसे नोशा रिझाई।
खुसरो चले ससुरारी सजनी संग, नहीं कोई आई।
amir khusro shayari
9. छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
खुसरो निजाम के बल बल जाए
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
10. दैया री मोहे भिजोया री
दैया री मोहे भिजोया री
शाह निजाम के रंग में।
कपरे रंगने से कुछ न होवत है
या रंग में मैंने तन को डुबोया री
पिया रंग मैंने तन को डुबोया
जाहि के रंग से शोख रंग सनगी
खूब ही मल मल के धोया री।
पीर निजाम के रंग में भिजोया री।
11. हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल,
बाइस ख्वाजा मिल बन बन आयो
तामें हजरत रसूल साहब जमाल।
हजरत ख्वाजा संग..।
अरब यार तेरो (तोरी) बसंत मनायो,
सदा रखिए लाल गुलाल।
हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल।
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12. जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतर
जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतर
ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर ।जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया
हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर ।तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है
तुझ दोस्ती बिसियार है एक शब मिली तुम आय कर ।जाना तलब तेरी करूँ दीगर तलब किसकी करूँ
तेरी जो चिंता दिल धरूँ, एक दिन मिलो तुम आय कर ।मेरी जो मन तुम ने लिया, तुम उठा गम को दिया
तुमने मुझे ऐसा किया, जैसा पतंगा आग पर ।खुसरो कहै बातों ग़ज़ब, दिल में न लावे कुछ अजब
कुदरत खुदा की है अजब, जब जिव दिया गुल लाय कर ।
13. जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँ
जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँ
जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँ, घुँघटा में आग लगा देती,
मैं लाज के बंधन तोड़ सखी पिया प्यार को अपने मान लेती।
इन चूरियों की लाज पिया रखाना, ये तो पहन लई अब उतरत न।
मोरा भाग सुहाग तुमई से है मैं तो तुम ही पर जुबना लुटा बैठी।
मोरे हार सिंगार की रात गई, पियू संग उमंग की बात गई
पियू संत उमंग मेरी आस नई।अब आए न मोरे साँवरिया, मैं तो तन मन उन पर लुटा देती।
घर आए न तोरे साँवरिया, मैं तो तन मन उन पर लुटा देती।
मोहे प्रीत की रीत न भाई सखी, मैं तो बन के दुल्हन पछताई सखी।
होती न अगर दुनिया की शरम मैं तो भेज के पतियाँ बुला लेती।
उन्हें भेज के सखियाँ बुला लेती।
जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँ।
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14. जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए
जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए,
अजहुँ न आए स्वामी हो
ऐ जो पिया आवन कह गए अजुहँ न आए।
अजहुँ न आए स्वामी हो।
स्वामी हो, स्वामी हो।
आवन कह गए, आए न बाहर मास।
जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए।
अजहुँ न आए।
आवन कह गए।
आवन कह गए।
15. काहे को ब्याहे बिदेस
काहे को ब्याहे बिदेस,
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसभैया को दियो बाबुल महले दो-महले
हमको दियो परदेस
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसहम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ
जित हाँके हँक जैहें
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसहम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ
घर-घर माँगे हैं जैहें
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसकोठे तले से पलकिया जो निकली
बीरन में छाए पछाड़
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसहम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ
भोर भये उड़ जैहें
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसतारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़
छूटा सहेली का साथ
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसडोली का पर्दा उठा के जो देखा
आया पिया का देस
अरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेसअरे, लखिय बाबुल मोरे
काहे को ब्याहे बिदेस
अरे, लखिय बाबुल मोरे
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16. तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम
तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम,
तोरी सूरत के बलिहारी ।
सब सखियन में चुनर मेरी मैली,
देख हसें नर नारी, निजाम…
अबके बहार चुनर मोरी रंग दे,
पिया रखले लाज हमारी, निजाम….
सदका बाबा गंज शकर का,
रख ले लाज हमारी, निजाम…
कुतब, फरीद मिल आए बराती,
खुसरो राजदुलारी, निजाम…
कौउ सास कोउ ननद से झगड़े,
हमको आस तिहारी, निजाम,
तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम…
17. ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां ।
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,
न लेहो काहे लगाये छतियां ।शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़
वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,
सखि पिया को जो मैं न देखूं
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ।यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू
ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,
किसे पडी है जो जा सुनावे
पियारे पी को हमारी बतियां ।चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान
हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह ।
न नींद नैना, ना अंग चैना
ना आप आवें, न भेजें पतियां ।बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर
कि दाद मारा, गरीब खुसरौ ।
सपेट मन के, वराये राखूं
जो जाये पांव, पिया के खटियां ।
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18. मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल
मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल।
कैसे घर दीन्हीं बकस मोरी माल।
निजामुद्दीन औलिया को कोई समझाए,
ज्यों-ज्यों मनाऊँ वो तो रुसो ही जाए।
चूडियाँ फूड़ों पलंग पे डारुँ इस चोली को
मैं दूँगी आग लगाए।
सूनी सेज डरावन लागै।
बिरहा अगिन मोहे डस डस जाए।
मोरा जोबना।
19. परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना।
बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना।
इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना।
इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना।
20. परबत बास मँगवा मोरे बाबुल, नीके मँडवा छाव रे
परबत बास मँगवा मोरे बाबुल, नीके मँडवा छाव रे।
डोलिया फँदाय पिया लै चलि हैं अब संग नहिं कोई आव रे।
गुड़िया खेलन माँ के घर गई, नहि खेलन को दाँव रे।
गुड़िया खिलौना ताक हि में रह गए, नहीं खेलन को दाँव रे।
निजामुद्दीन औलिया बदियाँ पकरि चले, धरिहौं वाके पाव रे।
सोना दीन्हा रुपा दीन्हा बाबुल दिल दरियाव रे।
हाथी दीन्हा घोड़ा दीन्हा बहुत बहुत मन चाव रे।
21. बन के पंछी भए बावरे, ऐसी बीन बजाई सांवरे
बन के पंछी भए बावरे, ऐसी बीन बजाई सांवरे।
तार तार की तान निराली, झूम रही सब वन की डाली। (डारी)
पनघट की पनिहारी ठाढ़ी, भूल गई खुसरो पनिया भरन को।
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